मंगलवार, 26 दिसंबर 2017

Golu lodhi

नफ़स न अंजुमन-ए-आरज़ू से बाहर खींच
अगर शराब नहीं इन्तज़ार-ए-साग़र खींच

कमाल-ए-गरमी-ए सई-ए-तलाश-ए-दीद न पूछ
ब रंग-ए-ख़ार मिरे आइने से जौहर खींच

तुझे बहाना-ए-राहत है इन्तज़ार ऐ दिल
किया है किस ने इशारा कि नाज़-ए-बिस्तर खींच

तिरी तरफ़ है ब हसरत नज़ारा-ए-नरगिस
ब कोरी-ए-दिल-ओ-चश्म-ए रक़ीब साग़र खींच

ब नीम-ग़मज़ा अदा कर हक़-ए वदीअत-ए-नाज़
नियाम-ए --परदा-ए ज़ख्म-ए-जिगर से खंज़र खींच

मिरे क़ददा में है सहबा-ए-आतिश-ए-पिनहां
ब रू-ए सुफ़रा कबाब-ए-दिल-ए-समन्दर खींच               प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है,

नये परिन्दों को उड़ने में वक़्त तो लगता है.

जिस्म की बात नहीं थी उनके दिल तक जाना था,

लम्बी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है.

गाँठ अगर पड़ जाए तो फिर रिश्ते हों या डोरी,

लाख करें कोशिश खुलने में वक़्त तो लगता है.

हमने इलाज-ए-ज़ख़्म-ए-दिल तो ढूँढ़ लिया है,

गहरे ज़ख़्मों को भरने में वक़्त तो लगता है।Read more

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